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फर्जी तरीके से ई- शिक्षा कोष पोर्टल पर उपस्थिति बनाने वाले 233 शिक्षकों से स्पष्टीकरण

 

बीआर दर्शन | बक्सर

फर्जी तरीके से ई- शिक्षा कोष पोर्टल पर उपस्थिति बनाने वाले जिले के 233 शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसको लेकर डीपीओ स्थापना द्वारा पत्र जारी किया गया है। विभाग से जारी  पत्रों के माध्यम से जिला में एक साथ विभिन्न प्रखंडों के 233 शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।

डीपीओ स्थापना विष्णुकांत राय ने पत्र के माध्यम से शिक्षक के रूप में दायित्व निर्वहन नहीं किये जाने, विभाग को गुमराह करने तथा बिना कार्य किये वेतन प्राप्त करने का प्रयास किये जाने का आरोप लगाया गया है। स्पष्टीकरण जिले इटाढ़ी प्रखंड के 43, चक्की प्रखंड के 56, केसठ प्रखंड के 72, राजपुर प्रखंड 18, ब्रह्मपुर प्रखंड के 20, सिमरी प्रखंड के 12 और नावानगर के 12 शिक्षकों पर कारवाई किया गया है। शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति को लेकर विभाग ने ई-शिक्षा कोष ऐप पार्टल के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने का निर्देश दिया था। ई-शिक्षा कोष ऐप पर फर्जी उपस्थिति दर्ज करने के मामले में विभाग ने सख्त कदम उठाना शुरू किया है। विभाग द्वारा विद्यालयों में शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद कुछ शिक्षकों द्वारा विद्यालय से बाहर रहने के बावजूद फर्जी तरीके से उपस्थिति दर्ज किया गया है। विभाग के सूक्ष्म रूप से किये गये जांच के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। जिसके तहत शिक्षा विभाग ने बड़े पैमाने पर कारवाई किया है। ई-शिक्षा कोष ऐप पर शिक्षकों के प्रतिदिन विद्यालय पहुंचने एवं विद्यालय से प्रस्थान का दर्ज किये जाने वाले समयावधि तथा मोबाईल कैमरे द्वारा प्रविष्टि फोटो के सूक्ष्म जांच के क्रम में पाया गया कि संबंधित शिक्षकों द्वारा कई कार्य दिवसों को विद्यालय में बिना उपस्थिति के ही फर्जी ढंग से पूर्व से खीचें हए फोटो के माध्यम ई-शिक्षा कोष ऐप पर उपस्थिति दर्ज किया जा रहा है। कई दिवसों को मनमाने तरीके से उपस्थिति दर्ज ही नहीं किया जा रहा है। निर्धारित समय के विपरीत उपस्थिति दर्ज किया गया है। विद्यालय छोड़ते समय ई-शिक्षा कोष पर उपस्थिति दर्ज नहीं किया जा रहा है। विभाग द्वारा ऐसे सभी शिक्षकों को उनके द्वारा बनाए गए उपस्थिति विवरणी के साथ पत्र स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्पष्टीकरण विद्यालय प्रधान के माध्यम से उनके मंतव्य के साथ विभाग में देना है। स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं होने पर ऐसे शिक्षकों के प्रति विभागीय कार्यवाही भी की जा सकती है।

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