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पंचकोसी मेला का हुआ समापन, चरित्रवन में लिट्टी – चोखा का पाया प्रसाद 

 

बीआर दर्शन। बक्सर

विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचकोसी मेला का समापन बुधवार को चरित्रवन में लिट्टी – चोखा का प्रसाद ग्रहण कर हुआ। पंचकोसी मेला 2 दिसंबर से शुरु होकर बुधवार 6 दिसम्बर को अंतिम पांचवां पड़ाव पर समाप्त हो गया।

श्रद्धालुओं का मंगलवार की रात से ही आने का तांता लगा हुआ था। देश सहित नेपाल के अलावे दूरदराज क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग पहुंचते रहे। ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान कर मंदिरों में पूजा- अर्चना करने के बाद लिट्टी-चोखा लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। गंगा नदी से सटे चरित्रवन सहित किला मैदान में श्रद्धालुओं से भरा पड़ा दिख रहा है। पंचकोसी के अवसर पर बक्सर में लिट्टी- चोखा भोज का आयोजन हुआ। जिसमें श्रद्धालुओं ने खुद उपला लाकर या खरीद कर लिट्टी लगाकर प्रसाद ग्रहण किया, वहीं दूसरों के बीच भी प्रसाद ग्रहण कराया।

ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा परंपरा की शुरुआत भगवान राम के उस समय से शुरू होती है, जब भगवान राम तड़का का वध करने के बाद बक्सर के पांच स्थलों पर यात्रा किए थे। मान्यताओं की मानें तो भगवान राम सभी पांचो जगहों पर गए। जिसमें पहला स्थान अहिरौली, फिर नदावं, उसके बाद भभुवर और नुआंव तथा अंत में चरित्रव़न की यात्रा भगवान राम ने की थी। इन सभी स्थलों पर रात्रि विश्रा़म किया और अलग अलग भोजन ग्रहण किया। ऐसे में अंतिम दिन लिट्टी चोखा से यात्रा की समाप्त की जाती है। देर शाम तक किला मैदान और चरित्रवन में नजारा देखने को मिल रहा है। कहा जाता है कि पंचकोसी परिक्रमा के अंतिम दिन जिला के लगभग सभी घरों में लिट्टी- चोखा खाने का रिवाज है। वहीं कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के द्वारा लिट्टी-चोखा खिलाने का कार्य किया गया।

प्रशासन रहा चुस्त – दुरुस्त 

पंचकोसी परिक्रमा के अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लगने वाली भीड़ को लेकर प्रशासन पहले से ही अलर्ट रहा। हालांकि ज्योति चौक पर दिनभर रुक -रुक कर जाम लगता रहा। ट्रैफिक पुलिस वाहनों को जाम से निकालती रही। पुलिस ने भीड़ को देखते हुए पहले से ही ट्रैफिक रुट को बदल दिया था। बड़े वाहनों को नई बाजार और मृत नहर मार्ग से निकाल श्रद्धालुओं को जाम से निजात दिलाते दिखे।

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