सेमिनार का आयोजन कर रंगमंच की दशा और दिशा पर हुआ चिन्तन
रंगमंच समाजिक कुरितियो को दूर करने सशक्त माध्यम है
बीआर दर्शन। बक्सर
किसी भी प्रकार के नाटक के लिए श्रद्धा का होना बहुत ही जरूरी है। एक्टिंग एक ऐसी चीज है जो आत्मा से निकलती है उक्त बातें प्रसिद्ध सर्जन डॉ महेंद्र प्रसाद ने कही। डिस्ट्रिक्ट आर्टिस्ट एसोसिएशन ऑफ़ बक्सर “डाब” के तत्वाधान में स्थानीय रेडक्रॉस भवन में हिंदी रंगमंच की 155 वीं वर्षगांठ पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। रविवार को “रंगमंच दशा व दिशा” विषय पर सेमिनार सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था।
इस दौरान रंगकर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अशोक पांडेय को शाल, मोमेंटो व प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन रंगकर्मी व इनकम टैक्स अधिवक्ता सुरेश संगम ने किया। हिन्दी साहित्य, रंगकर्म व समाजिक कार्य के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिए एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा, नगर चेयर मैन कमरून निशा, डा सी एम सिंह, डॉ महेंद्र प्रसाद, भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल त्रिवेदी, समाजसेवी रामस्वरूप अग्रवाल, साई मंदिर के सचिव चंदन गुप्ता को शाल, मोमेंटो व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रंगकर्मी सह अधिवक्ता सुरेश संगम तथा संचालन रेडक्रास सचिव डॉ. श्रवण कुमार तिवारी ने किया। कार्यक्रम का उद्घाटन बक्सर चेयरमैन कमरून निशा व गायक गोपाल राय ने संयुक्त रूप से किया।
डाब के अध्यक्ष सुरेश संगम ने सेमिनार को संबोधित करते हुए बताया कि भारतेंदु हरिश्चंद्र के दोस्त ईश्वर नारायण सिंह के प्रयास से हिंदी में प्रथम नाट्य प्रस्तुति “जानकी मंगल पंडित” शीतला प्रसाद त्रिपाठी द्वारा बनारस थिएटर में 3 अप्रैल 1868 को संपन्न हुई थी। इसके बाद एक सिलसिला चल निकला जिसमें “रणधीर प्रेम मोहनी” एवं “सत्य हरिशचंद्र” जैसे नाटकों का मंचन हुआ. हिंदी के इस प्रथम नाट्य मंचन के साथ 3 अप्रैल को हिंदी रंगमंच दिवस के रूप में अमृतलाल नागर ने इसे लोकप्रिय करने एवं मनाने पर जोर दिया, तब से यह परंपरा चल पड़ी।
अशोक पांडेय ने कहा कि रंगमंच एक माध्यम है। हमें सामाजिक विकृतियों को दूर करने का प्रयास करना होगा इस अवसर पर विभिन्न विधाओं से जुड़े कलाकारो व साहित्यकार ने भी अपने उदगार व्यक्त किये। धन्यवाद ज्ञापन सचिव अभिषेक जायसवाल, रवि वर्मा व मनीष मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। मौके पर महासचिव हरिशंकर गुप्ता, रवि शर्मा, रामस्वरूप अग्रवाल, डॉ. ओमप्रकाश केशरी पवननदन, डॉ. ए. के सिह, प्रदीप जायसवाल, गायक पंकज सिंह, प्रशान्त कुमार, तनिशा राय, अनिशा राय, डॉ. जी कुमारी, आर्यन जायसवाल, एम आलम बुलबुल, रमेश कुमार, निर्मल सिंह समेत तमाम कलाकार मौजूद रहे।