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बक्सर उत्थान मंच ने खुले में मांस दुकान को बंद कराने समेत कार्यपालक पदाधिकारी को सौंपा ग्यारह सूत्री मांग पत्र 

 

बीआर दर्शन | बक्सर

बक्सर उत्थान मंच के संयोजक मुकुंद सनातन ने कार्यपालक पदाधिकारी को खुले में चल रहे मांस की दुकाने बंद कराने सहित ग्यारह सूत्री मांग पत्र सौंपा। मांग पत्र पर नियमानुसार कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की बात भी कही।

उन्होंने बताया कि बक्सर एक धार्मिक,एतिहासिक एवं पौराणिक नगरी हैं। बक्सर नगर अपने धार्मिक मान्यताओं को लेकर वेदों एवं पुराणों के पन्नों में दर्ज है। यह नगर भगवान वामन की जन्म स्थली, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की शिक्षस्थली, कर्म स्थली, महर्षि विश्वामित्र की तप स्थली व माता अहिल्या की उद्धार स्थली है। इसके अलावा विभिन्न अवसरों पर गंगा स्नान के लाखों श्रद्धालु पहुंचते है। ऎसे पवित्र धार्मिक स्थल के चौक चौराहों पर खुलेआम मीट, मुर्गा, मछली दुकान खोलकर बिक्री करना नियम के खिलाफ है। नगर के सरकारी जमीन को अतिक्रमण कर दुकान खोलकर खुलेआम मीट ,मुर्गा व मछली का मांस बिक्री किया जा रहा है। वही बिहार सरकार के तहत बनाए गए किसी भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा हैं। फिलहाल भगवान शिव का प्रिय माह सावन प्रारम्भ होने वाला हैं. जहां लाखों कांवरियां कावड़ यात्रा के लिए बक्सर पहुंचते है।

श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए बक्सर उत्थान मंच प्रशासन से मांग करता हैं कि बक्सर जिले के प्रमुख मार्गों और सार्वजनिक स्थलों पर स्थित मांस की दुकानों को बंद कराया जाए। शीघ्र ही नगर परिषद के बेंडिंग जोन में ही सारे मीट, मछली, मुर्गा विक्रेताओं की दुकान लगवाने का कार्य किया जाए।

वहीं मंच के जिला अध्यक्ष इंद्रजीत चौबे ने नगर के विकास पर सवाल करते हुए कहा कि केवल बक्सर बिहार का एक जिला नहीं है अपितु बक्सर बिहार की आध्यात्मिक राजधानी भी है लेकिन अफसोस जनक बात यह है कि जिस गति से पवित्र बक्सर नगर का विकास होना चाहिए था उस गति से विकास नहीं हो पा रहा है। केवल कुछ वार्डों में रोड और नाली बना देने से विकास नहीं होता है। बल्कि जनता की मूलभूत सुविधाओं एवं उनके आस्थाओं पर भी ध्यान देना पड़ता है। प्रशासन द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर बाध्य होकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत संगठन द्वारा कदम उठाया जाएगा।

मौके पर ओमकार गुप्ता, तुलसी चौधरी, आदित्य उपाध्याय, बृजेश चौधरी, महावीर गुप्ता, संजय चौबे आदि उपस्थित रहे

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