एडीजी कुंदन कृष्णन के बयान पर भड़के किसान नेता, संयुक्त किसान मोर्चा ने की बर्खास्तगी की मांग

बीआर दर्शन | बक्सर
एडीजी कुंदन कृष्णन द्वारा किसानों को लेकर दिए गए विवादित बयान पर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा, बिहार की ओर से बक्सर में एडीजी का पुतला दहन किया गया और सभा का आयोजन हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने उनके बयान को “दिमागी दिवालियापन की पराकाष्ठा” करार देते हुए सरकार से तत्काल बर्खास्तगी की मांग की।
सभा को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं दिनेश कुमार, अशोक प्रसाद सिंह, रामप्रवेश सिंह, सत्येन्द्र सिंह, शिवजी सिंह, नंदलाल सिंह, नंदकुमार राम, शर्मा तिवारी, विजय नारायण राय, सुरेन्द्र सिंह, लडु यादव और निरंजन सिंह ने कहा कि अन्नदाता को आदतन अपराधी कहना घोर अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि यह बयान न केवल बिहार, बल्कि देश के किसानों को आहत करने वाला है। वक्ताओं ने कहा किसान हत्यारे नहीं वरन पालक होते हैं।
किसान नेताओं ने यह भी कहा कि जब कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में पूरा देश अपने घरों में बंद था, उस वक्त भी किसान खेतों में दिन-रात मेहनत कर अन्न, फल, दूध और सब्जियों का उत्पादन कर रहे थे। इसके लिए उन्हें सम्मान मिलना चाहिए था, लेकिन एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के स्तर से अपमानजनक बयान दिया जाना शर्मनाक है।
मोर्चा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोतिहारी यात्रा का भी जिक्र किया। नेताओं ने कहा कि 18 जुलाई को जब दोनों नेता किसानों की पवित्र धरती चंपारण पहुंचे, तो सभी को उम्मीद थी कि मंच से एडीजी की बर्खास्तगी की घोषणा होगी। मगर उन्होंने एक शब्द तक नहीं बोला। इससे साबित होता है कि उन्हें किसानों के सम्मान की कोई परवाह नहीं है।
वक्ताओं ने बिहार में बढ़ते अपराध और पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि थानों में दलालों, बालू और शराब माफियाओं का बोलबाला है। थाना ड्यूटी के नाम पर खुलेआम उगाही होती है। पदस्थापन में जाति और रिश्वत का बोलबाला है। ऐसे में अगर अपराध रुकने के बजाय बढ़ रहे हैं तो उसमें किसान नहीं, खुद व्यवस्था दोषी है।
सभा में यह भी कहा गया कि किसान दिन-रात 14-15 घंटे कठिन मेहनत करता है। उस पर आरोप लगाना न केवल निंदनीय है, बल्कि यह किसानों के त्याग और तपस्या का घोर अपमान है। मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने कुंदन कृष्णन को अविलंब बर्खास्त नहीं किया तो इसका राजनीतिक जवाब आने वाले चुनावों में दिया जाएगा।