इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल पटना के खिलाफ दाखिल हुआ परिवाद

बीआर दर्शन | बक्सर
जिला उपभोक्ता आयोग ने इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड पटना के खिलाफ 42 लाख 87 हज़ार के क्षतिपूर्ति के लिए दाखिल किए गए परिवाद में नोटिस जारी किया है। नोटिस का जबाब नहीं मिलने पर हास्पीटल के खिलाफ आयोग कार्रवाई करेगा। मामला परिवाद पत्र संख्या 32/2025 से संबंधित है।
अधिवक्ता विष्णु दत्त द्विवेदी से मिली जानकारी के मुताबिक बक्सर खलासी मोहल्ला की रहने वाली संगीता देवी को विज्ञापन के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल में इन विंटर फर्टिलाइजेशन (कृत्रिम गर्भधारण) के माध्यम से नि: संतान लोगों के लिए बच्चा जनने की सुविधा दी जाती है। विज्ञापन देखने के बाद परिवादिनी जानकारी के लिए दिए गए मोबाइल नंबर पर फोन किया। इसके बाद उसे बार-बार फोन कर पटना बुलाया गया। जब आवेदिका एवं उसके पति रवि कुमार गुप्ता विपक्षी के अस्पताल पहुंचे तो उनका चिकित्सकीय जांच किया गया तथा दोनों को स्वस्थ्य एवं सही पाते हुए भ्रूण धारण कराने के लिए कुल 2 लाख 37 हज़ार रुपए जमा करा लिए गए। भ्रूण धारण करने की दी गई तिथि पर जब आवेदिका हास्पीटल में पहुंची तो उनके द्वारा कहा गया कि उसका शुगर का लेवल ठीक नहीं है तथा थायराइड बढ़ा हुआ है। ऐसे में कुछ दिन दवा खाकर मिलना होगा। जिसके बाद आवेदिका अनगिनत बार अस्पताल गई लेकिन बार-बार दवा लिख कर उसे वापस भेज दिया गया। इस तरह कई महीने बीत गए। इस बीच परिवादिनी की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो उसने दूसरे चिकित्सक को दिखाया जहां उसे यह पता चला कि विपक्षियों ने उसे ओवरडोज दवा 50 दिनों से लगातार देना शुरू कर दिया था जिसके चलते उसकी स्थिति मरणासन्न होने लगी थी। उक्त मामले को लेकर विपक्षी को वकालतन नोटिस भी दिया था लेकिन उनके द्वारा न तो कृत्रिम भ्रूण धारण की सेवा दी गई और नहीं पैसे वापस लौटाए गए।
मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता आयोग में बुधवार को किया गया जहां सेवानिवृत न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला उपभोक्ता आयोग वेद प्रकाश सिंह एवं सदस्य राजीव कुमार की खंड पीठ ने परिवाद पत्र को सुनने के बाद ग्रहण करते हुए विपक्षियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।