लिट्टी – चोखा के महाप्रसाद के साथ पंचकोसी परिक्रमा संपन्न

बीआर दर्शन | बक्सर
मिनी काशी के नाम से विश्व प्रसिद्ध बक्सर में गुरुवार को पंचकोसी मेला धार्मिक उल्लास और भक्ति के साथ सम्पन्न हुआ। नौ नवंबर से प्रारंभ हुई यह पवित्र परिक्रमा यात्रा 13 दिसंबर को चरित्रवन पहुंचकर संपन्न हुई। किला मैदान में श्रद्धालुओं ने लिट्टी – चोखा का महाप्रसाद ग्रहण किया।

पंचकोसी मेला के अंतिम दिन चरित्रवन, किला मैदान और गंगा तट श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। बुधवार की रात से ही देश के विभिन्न राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल से श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे थे। गंगा स्नान और पूजा-अर्चना के बाद परंपरागत लिट्टी-चोखा प्रसाद का आयोजन हर गली-मोहल्ले और मंदिर प्रांगण में देखने को मिला। किला मैदान का दृश्य अद्भुत रहा, धुएं से भरा आसमान, भक्ति में लीन लोग और हर हाथ में लिट्टी-चोखा का प्रसाद। श्रद्धालु खुद उपला लाकर या खरीदकर लिट्टी लगाते और प्रसाद के रूप में ग्रहण करते नजर आए।


चरित्रवन श्रीनिवास मंदिर में पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष पूज्य स्वामी आच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज द्वारा श्रद्धालुओं के लिए भव्य प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई थी। वहीं शहर के विभिन्न मठों के महंत भी उपस्थित रहे। बक्सर वह पावन भूमि है जहां से सृष्टि की शुरुआत हुई। पंचकोसी परिक्रमा आत्मशुद्धि और लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग है। उन्होंने बक्सर के धार्मिक पर्यटन के विकास को लेकर जनप्रतिनिधियों से सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। बक्सर की यह पंचकोसी परिक्रमा न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि सामाजिक एकता, आस्था और संस्कृति के संगम का प्रतीक बन चुकी है। जिले के सभी घरों में आज लिट्टी – चोखा का प्रसाद ग्रहण किया गया।




